चोल कालीन स्थापत्य
- चोलशासकों ने द्रविड़ शैली के अंतर्गत ईटों की जगह पत्थरों और सिलाओ का प्रयोग कर ऐसे ऐसे मंदिर बनाएं इनका अनुकरण पड़ोसी राज्य एवं देशों तक ने किया.
- इतिहास के प्रथम चरण( विजयालय से लेकर उत्तम चोल) मैं तिरु कट्टलाई का संदेश्वर मंदिर, कन्नूर का बालासुब्रमण्यम मंदिर, नरतमार्ले का विजयालय मंदिर, कुंबकोणम का नागेश्वर मंदिर तथा कदंबर- मलाई मंदिर आदि का निर्माण हुआ.
- महानचलो के दौर में तंजावुर में बृहदेश्वर मंदिर तथा गंगाईकोंडचोलापुरम का शिव मंदिर ख्याति प्राप्त है.
- मंदिरों को देखकर कहा गया कि" उन्होंने दैत्य के समान कल्पना की और जो हरिया के समान उसे पूरा किया"
- चोल स्थापत्य की सबसे बड़ी खासियत है कि उन्होंने वास्तुकला में मूर्तिकला और चित्रकला का भी बेजोड़ संगम किया.
- चोलयुगीन मूर्तियों में नटराज की कांस्य प्रतिमा सर्वोत्कृष्ट है चोलकला का सांस्कृतिक निकश( कसौटी) कहा गया है.
चोल कालीन स्थापत्य:
Reviewed by Anukul Gyan
on
March 31, 2019
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