गंगा में सबसे ज्यादा बैक्टीरियोफेज
हाल ही में केंद्रीय जल संसाधन मंत्रालय द्वारा गठित आयोग के अंतर्गत गए एक अध्ययन के अनुसार गंगा के अद्वितीय गुणों की जांच में नदी के पानी में जीवाणु रोधी गुणों वाले जीवो का अनुपात काफी अधिक पाया गया है.
बैक्टीरियोफेज |
👉अध्ययन के अनुसार, भारत की दूसरी नदियों में भी जीवाणु रोधी गुणों वाले जीव उपस्थित है. लेकिन गंगा में विशेषकर उसके ऊपरी हिमाली हिस्सों में यह अधिक है.
👉वर्ष 2016 में गंगा नदी के विशेष गुणों को समझने के लिए जल की गुणवत्ता और तलछट के आकलन हेतु अध्ययन शुरू किया गया था.
👉अध्ययन कार्य का संचालन नागपुर स्थित राष्ट्रीय पर्यावरण इंजीनियरिंग और अनुसंधान संस्थान (NEERI) द्वारा किया गया.
👉NEERI भागीरथी और गंगा में रेडियोलॉजिकल, माइक्रोबायोलॉजी कल, और जैविक मापदंडों के लिए पानी की गुणवत्ता का आकलन करने का काम सौंपा गया था.
👉मूल्यांकन के तहत 5 रोगजनक प्रजातियों वाले बैक्टीरिया- Escherichia, Enterobacter, Salmonella, Shigella, Vibrio को गंगा, यमुना और नर्मदा से लिया गया और उनकी संख्या की तुलना नदी के पानी में मौजूद बैक्टीरियोफेज से की गई.
👉बैक्टीरियोफेज एक प्रकार के वायरस है जो बैक्टीरिया को मारते हैं.
👉गंगा नदी के सैंपल में लगभग 1100 प्रकार के बैक्टीरियोफेज थे जबकि यमुना और नर्मदा से प्राप्त नमूनों में 200 से कम प्रजातियां पाई गई.
👉हालांकि, इन बैक्टीरियोफेज की संख्या नदी के विस्तार के साथ व्यापक रूप से भिन्न है. जैसे कि माना से हरिद्वार कथा बिजनौर से वाराणसी की अपेक्षा गोमुख से टिहरी तक के क्षेत्र में 33% ज्यादा बैक्टीरियोफेज थे.
👉ब्रिटिश औपनिवेशिक वैज्ञानिकों द्वारा लगभग 200 साल पहले बताया गया था कि गंगा में अद्वितीय सूक्ष्मजीव जीवन हो सकता है. यह अध्ययन नवीनतम वैज्ञानिक तकनीकों और ज्ञान का उपयोग करके इन गुणों की पुष्टि करता है
गंगा में सबसे ज्यादा बैक्टीरियोफेज
Reviewed by Anukul Gyan
on
April 22, 2019
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