रोलेट सत्याग्रह के 100 साल
अप्रैल 2019 को रोलेट सत्याग्रह की 100 वीं सालगिरह है यह सत्याग्रह 1919 में महात्मा गांधी द्वारा शुरू किया गया था. रोलेट सत्याग्रह 1919 के अराजक और क्रांतिकारी अपराध अधिनियम को लागू करने वाली ब्रिटिश सरकार के जवाब में किया गया था जिसे रोलेट एक्ट के नाम से जाना जाता है.
रोलेट एक्ट:
- यह अधिनियम सर सिडनी रोलेट की अध्यक्षता में सेडिशन कमिटी की सिफारिशों के आधार पर पारित किया गया था.
- यह अधिनियम भारतीय सदस्यों के एकजुट होकर किए गए विरोध के बावजूद इंपीरियल विधान परिषद में जल्दबाजी में पारित किया गया था.
- इस अधिनियम ने सरकार को राजनीतिक गतिविधियों को दबाने के लिए अधिकार प्रदान किए और 2 साल तक बिना किसी मुकदमे के राजनीतिक कैदियों को हिरासत में रखने की अनुमति दी.
प्रथम विश्व युद्ध का भारत पर प्रभाव गांधी के आह्वान की प्रतिक्रिया:
- महात्मा गांधी इस तरह के अन्याय पूर्ण कानूनों के खिलाफ सविनय अवज्ञा आंदोलन शुरू करना चाहते थे 6 अप्रैल 1919 को शुरू हुई.
- लेकिन इसे शुरू किए जाने से पहले कोलकाता मुंबई दिल्ली अहमदाबाद आदि शहरों में बड़े पैमाने पर ब्रिटिश सरकार विरोधी हिंसक प्रदर्शन हुए.
- भारत बंद के कारण दुकानें और स्कूल बंद होने से उत्तर और पश्चिम भारत के शहरों में जीवन अस्तव्यस्त हो गया.
- ब्रिटिश सरकार विरोधी प्रदर्शनों के दौरान पंजाब में जलियांवाला बाग नरसंहार हुआ.
जलियांवाला बाग नरसंहार:
- 1919 को दो राष्ट्रवादी नेताओं सैफुद्दीन किचलू और डॉक्टर सत्यपाल को ब्रिटिश अधिकारियों ने बिना किसी कारण के गिरफ्तार कर लिया, उनका कसूर सिर्फ इतना था कि उन्होंने ब्रिटिश सरकार के विरोध में की गई सभाओं को संबोधित किया था. उन्हें अज्ञात स्थान पर ले जाया गया.
- इसके कारण 10 अप्रैल को हजारों की संख्या में भारतीय प्रदर्शनकारियों ने अपने नेताओं के पक्ष में एकजुटता दिखाते हुए नाराजगी जाहिर की.
- लेकिन जल्दी ही यह विरोध प्रदर्शन हिंसक हो गया क्योंकि पुलिस की गोलीबारी में कुछ प्रदर्शनकारी मारे गए.
- 13 अप्रैल को बैसाखी के दिन गांव के लोगों की एक बड़ी भीड़ अमृतसर के जलियांवाला बाग में एकत्रित हुई थी. ब्रिगेडियर जनरल डायर ने अपने सैनिकों के साथ घटनास्थल पर पहुंच कर सभा को घेर लिया और वहां से बाहर जाने के एकमात्र मार्ग को अवरुद्ध कर दिया तथा 1000 से अधिक निहत्थे पुरुषों महिलाओं और बच्चों को मार डाला.
हंटर कमिशन:
- जलियांवाला बाग गोली कांड की जांच के लिए सरकार ने जांच समिति बनाई. 14 अक्टूबर 1919 को भारत सरकार ने डिसऑर्डर इंक्वायरी कमेटी के गठन की घोषणा की.
- यह समिति लॉर्ड विलियम हंटर की अध्यक्षता के चलते उनके नाम पर हंटर कमीशन के नाम से जानी जाती है इसमें भारतीय सदस्य भी थे.
- मार्च 1920 में प्रस्तुत अंतिम रिपोर्ट में समिति ने जनरल डायर के खिलाफ कोई डांडिया अनुशासनात्मक कार्यवाही नहीं की सिर्फ डायर के कुर्तियों की निंदा की.
राष्ट्रवादी प्रतिक्रिया:
- इस घटना के विरोध में रविंद्र नाथ टैगोर ने अपनी नाइटहुड की उपाधि त्याग दी.
- महात्मा गांधी ने भी बोर युद्ध के दौरान किए गए महत्वपूर्ण कार्यों के लिए अंग्रेजों द्वारा उन्हें दी गई कैसर ए हिंद की उपाधि भी वापस कर दी.
- गांधीजी इस हिंसा के माहौल से काफी दुखी थे और 18 अप्रैल 1919 को इस आंदोलन को वापस ले लिया गया.
- भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस ने अपनी गैर आधिकारिक समिति नियुक्त की जिसमें मोतीलाल नेहरू, सी आर दास, अब्बास तैयब जी, एम आर जयकर, और गांधी को शामिल किया गया था.
- कांग्रेस ने अपना दृष्टिकोण सामने रखा इस दृष्टिकोण में दायर के कृतियों को अमानवीय बताया और यह भी कहा कि पंजाब में मार्शल लॉ की शुरुआत का कोई औचित्य नहीं है.
रोलेट सत्याग्रह के 100 साल / रोलेट एक्ट
Reviewed by Anukul Gyan
on
April 10, 2019
Rating:
No comments: