गीग इकोनामी.

गिग इकोनामी

आज डिजिटल होती दुनिया में रोजगार की परिभाषा और कार्य का स्वरूप बदल रहा है. एक नई वैश्विक अर्थव्यवस्था उभर रही है जिसको नाम दिया जा रहा है गीग इकोनामी.
➤गिग इकोनामी (स्विगी, जोमैटो, उबर और ओला जैसी कंपनियों की अगुवाई में) में फ्रीलांस कार्य और एक निश्चित अवधि के लिए प्रोजेक्ट आधारित रोजगार शामिल है.
गिग इकोनामी में किसी व्यक्ति की सफलता उसके विशिष्ट निपुणता पर निर्भर होती है. असाधारण प्रतिभा, गहरा अनुभव, विशेषज्ञ ज्ञान या प्रचलित कौशल प्राप्त श्रमबल ही गिग इकोनामी में कार्य कर सकता है.
आज कोई व्यक्ति सरकारी नौकरी कर सकता है या किसी प्राइवेट कंपनी का मुलाजिम बन सकता है या फिर किसी मल्टीनेशनल कंपनी में रोजगार ढूंढ सकता है, लेकिन गीत इकोनामी एक ऐसी व्यवस्था है जहां कोई भी व्यक्ति मनमाफिक काम कर सकता है.
अर्थात गिग इकोनामी में कंपनी द्वारा तय समय में प्रोजेक्ट पूरा करने से भुगतान किया जाता है, इसके अतिरिक्त किसी भी बात से कंपनी का कोई मतलब नहीं होता.
रोजगार की तलाश में बढ़ता प्रवास और गिग इकोनामी को बढ़ावा देने वाली कंपनियों द्वारा प्रशिक्षण देने में तत्परता ने इस क्षेत्र को काफी हद तक बढ़ा दिया है.
एक अनुमान के मुताबिक, भारत में नए रोजगार ( ब्लू कलर और वाइट कलर दोनों) का 56% हिस्सा गिग इकोनामी कंपनी द्वारा उत्पन्न हो रहा है.
स्टार्टअप राजधानी बंगलुरु को दूसरे स्थान पर छोड़ते हुए दिल्ली भारत के तकनीकी सक्षम गिग इकोनामी के शीर्ष गंतव्य के रूप में उभर कर सामने आई है.
क्या होगा गिग इकोनामी का प्रभाव:
  • इकोनॉमिस्ट रोनाल्ड रोस ने कहा था कि कोई भी कंपनी तब तक फलती फूलती रहेगी जब तक कि एक चारदीवारी में बैठकर लोगों से काम कराना, बाजार में जाकर काम करा लेने से सस्ता होगा.
  • कोई भी कंपनी यदि बाजार में जाकर, प्रत्येक विशिष्ट काम अलग-अलग विशेषज्ञों से कराती है और यह लागत कंपनी के सामान्य लागत से कम है तो स्वाभाविक सी बात है कि वह एक निश्चित वेतन पर लंबे समय के लिए लोगों को नौकरी पर रखने के बजाय बाजार में जाना पसंद करेगी.
  • आज गिग इकोनामी के इस दौर को एंप्लॉयमेंट 4.0 कहा जा रहा है, जबकि इससे पहले का समय एंप्लॉयमेंट 3.0 कहा जाता है. एंप्लॉयमेंट 3.0 में वैश्वीकरण, निजीकरण, और उदारीकरण ने बाजार में निकलकर काम लेना हसन बना दिया था, यही कारण था कि बड़ी कंपनियां तेजी से बंद होने लगी और उनकी जगह ले ली छोटी-छोटी आउटसोर्सिंग फर्म ने.
  • एंप्लॉयमेंट 4.0 मुख्य रूप से अनवरत इंटरनेट कनेक्टिविटी, रोबोटिक, आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस, नैनोटेक्नोलॉजी और वर्चुअल रियलिटी पर आधारित है. अतः कंपनियों को अब ऐसे ही लोगों की जरूरत पड़ेगी जो दक्ष है और जीनसे प्रोजेक्ट बेसिस पर काम लिया जा सकता है.
  • अतः आने वाला समय गीग इकोनामी का होगा , इससे इंकार नहीं किया जा सकता. हालांकि यह कहना की बड़ी कंपनियों बंद हो ही जाएगी यह भी सही नहीं है. लेकिन वैश्विक अर्थव्यवस्था में एक आमूलचूल बदलाव के संकेत तो दिखे ही रहे हैं.
गीग इकोनामी.  गीग इकोनामी. Reviewed by Anukul Gyan on April 14, 2019 Rating: 5

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